आजकल के महंगाई के दौर में अपने पैसों को निवेश करना हर व्यक्ति के लिए आवश्यक हो गया है।
पैसों को सही जगह निवेश करने से हम अपने भविष्य को सुरक्षित बना सकते हैं।
ऐसे निवेश करने के कई जरिए हैं जैसे कि फिक्स डिपाजिटट ,इक्विटी ,डेट फंड, म्यूच्यूअल फंड और कई अन्य तरीके।
आज हम जानेंगे की म्यूच्यूअल फंड का एक छुपा हुआ रत्न जिसका नाम है इंडेक्सेशन बेनिफिट वह क्या है और उसका लाभ हम किस तरह प्राप्त कर सकते हैं।
अगर आप छोटी बचत स्कीम और फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरों से ज्यादा खुश नहीं है तो डेट फंड में निवेश करना आपके लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है।
बांड गवर्नमेंट सिक्योरिटी जैसी कई इंस्ट्रूमेंट के मुकाबले डेट म्यूचुअल फंड कहीं बेहतर प्रदर्शन करते हैं और ज्यादा रिटर्न देते हैं।
हर डेट फंड के पोर्टफोलियो में अलग-अलग डेट प्रतिभूतियां होती हैं।
इसकी वजह से नुकसान होने का जोखिम अक्सर कम हो जाता है।
डेट म्युचुअल फंड अलग-अलग निवेश के माध्यमों से एक अच्छा रिटर्न देते हैं यह अलग-अलग निवेश के माध्यम है जैसे कन्वर्टिबल डिवेंचर , कमर्शियल पेपर ,गवर्नमेंट सिक्योरिटी और कॉर्पोरेट बॉन्ड।
म्यूच्यूअल फंड से अच्छा रिटर्न प्राप्त करने के लिए टैक्स के कई पहलुओं को समझना महत्वपूर्ण हो जाता है।
म्यूचुअल फंड में निवेश से दो प्रकार की इनकम हो सकती है जो कि है डिविडेंड और कैपिटल गेन/कैपिटल लॉस।
टैक्स म्यूच्यूअल फंड की स्कीम पर भी निर्भर करता है इक्विटी और नॉन इक्विटी म्युचुअल फंड्स पर टैक्स अलग-अलग तरह से लगाया जाता है।
डेट म्युचुअल फंड
म्यूच्यूअल फंड का एक प्रकार है डेट म्युचुअल फंड जिसमें फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता है।
फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज जैसे कि कॉरपोरेट बॉन्ड गवर्नमेंट बॉन्ड फिक्स डिपाजिट से ज्यादा रिटर्न देते हैं।
डेट म्यूचुअल फंड में इन्हीं सिक्योरिटी का सहारा लेकर निवेश किया जाता है जो कि काफी सुरक्षित निवेश होता है।
डेट म्यूचुअल फंड लंबे समय तक निवेश करने के लिए काफी बेहतर होते है, यह फंड तीन-चार साल तक निवेश करने के लिए काफी बेहतर होते हैं।
डेट म्यूचुअल फंड में 3 साल तक निवेश करने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है, यदि हमारा निवेश 3 साल से कम है तो हमें शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा।
डिविडेंड इनकम
डिविडेंड ऑप्शन से जो डिविडेंड इनकम हमें प्राप्त होती है वह टेक्स्ट फ्री होती है हालांकि इसमें डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स लगता है।
डिविडेंड डिसटीब्यूशन टैक्स का भुगतान फंड हाउस कर देता है।
इक्विटी फंड में यह डिविडेंड डिसटीब्यूशन टैक्स 10 फ़ीसदी प्लस सर चार्ज और सेस होता है।
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कैपिटल गेन -नान इक्विटी
अगर नॉन इक्विटी स्कीमों में हमारा निवेश 36 महीनों से कम है तो हम पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लागू होगा।
यह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 20 फ़ीसदी की दर से लगाया जाता है।
लोंग टर्म कैपिटल गेन टैक्स तब लागू होता है अगर नॉन इक्विटी स्कीमों में हमारा निवेश 36 महीनों से ज्यादा हो।
लोंग टर्म कैपिटल गेन टैक्स करदाता के टैक्स स्लैब पर निर्भर करता है।
कैपिटल गेन -इक्विटी
अगर इक्विटी स्कीमों में हमारा निवेश 12 महीने से कम है तो हम पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लागू होता है।
यह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 15 फ़ीसदी की दर से लगाया जाता है।
अगर हमारा निवेश 12 महीनों से ज्यादा हो तो हम पर लोंग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लागू होता है।
लोंग टर्म कैपिटल गेन टैक्स 20 फ़ीसदी की दर से लगाया जाता है और यह केवल 1 साल में ₹100000 से ज्यादा के लोंग टर्म कैपिटल गेन पर लगता है।
इंडेक्सेशन
इंडेक्सेशन टैक्सपेयर्स के लिए एक खुशखबरी की तरह है इसमें अगर आपने कोई लंबे समय तक निवेश किया है तो उसे मैच्योरिटी पर लोंग टर्म कैपिटल गेन देना होता है।
और इस लोंग टर्म कैपिटल गेन टैक्स पर इंडेक्सेशन बेनिफिट मिलता है जिसका मतलब है कि इन्वेस्टमेंट पीरियड के दौरान देश में हो रही इन्फ्लेशन को आपके इन्वेस्टमेंट के साथ एडजस्ट कर दिया जाएगा।
नेट कैपिटल गेन में फायदा
लोंग टर्म कैपिटल गेन लोंग टर्म कैपिटल गेन टैक्स दिया जाता है।
इंडेक्सेशन बेनिफिट की वजह से लोंग टर्म कैपिटल गेन घट जाता है और उसी घटी हुई राशि पर हमें टैक्स चुकाना होता है जिसकी वजह से हमें टैक्स में फायदा हो जाता है और हमारी बचत हो जाती है।
अगर देश में इन्फ्लेशन ज्यादा है तो हमें इंडेक्सेशन का ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सकता है और कैपिटल गेन कम से कम हो सकता है।
यह लाभ सिर्फ उन टैक्सपेयर्स को मिल सकता है जो अपने डेट म्युचुअल फंड 3 साल से ज्यादा तक रखते हैं।
यानी यह फायदा सिर्फ लंबे समय तक निवेश करने वाले लोगों को ही मिल सकता है।
इंडेक्सेशन इंडेक्स
हर साल सरकार महंगाई को ध्यान में रखते हुए कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स की घोषणा करती है इस कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स का इस्तेमाल इंडेक्सेशन बेनिफिट के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
जिस साल के लिए इसकी घोषणा होती है उस वर्ष में खरीदे गए सभी एसेट पर इसकी दर से इंडेक्सेशन मिलता है हर।
हर साल के लिए यह इंडेक्सेशन की दर अलग-अलग होती है और देश के इन्फ्लेशन के हिसाब से बढ़ती ही रहती है।
इंडेक्सेशन बेनिफिट की वजह से हमारे खरीदे गए डेट म्युचुअल फंड का परचेज प्राइस बढ़ जाता है जिसकी वजह से नेट कैप लोंग टर्म कैपिटल गेन कम हो जाता है और हमें कम लोंग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होता है।
इन्फ्लेशन अजस्टेड कॉस्ट प्राइस निकालने का फॉर्म्युला है– (बिक्री के वर्ष का सीआईआई/खरीद के वर्ष का सीआईआई) × वास्तविक खरीद मूल्य।
इस फार्मूले का इस्तेमाल करके हमारा कॉस्ट प्राइस या परचेज प्राइस कम हो जाता है और हम इंडेक्सेशन का पूरा लाभ उठा पाते हैं।
इस फार्मूले में कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स का एक महत्वपूर्ण भूमिका है जिसकी वजह से हमारा नेट लोंग टर्म कैपिटल गेन कम हो जाता है और हमें कम लोंग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होता है।
नोटिफाइड इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम में डेढ़ लाख डेढ़ लाख रुपए तक निवेश पर इनकम टैक्स का सेक्शन 80C लागू होता है इसके तहत हमें टैक्स में छूट मिलती है।
इसका फायदा उठाने के लिए इन तीनों में 3 साल के लॉक इन पीरियड की अवधि होती है।
ऊपर दिए गए सभी कारणों से यह साबित होता है कि डेट म्युचुअल फंड काफी लाभदायक निवेश का साधन है और इंडेक्सेशन की वजह से डेट म्युचुअल फंड टैक्स की बचत का एक अच्छा माध्यम बन जाता है।
अगर आपको लंबे समय तक निवेश करना है तो आप डेट म्यूचुअल फंड के बारे में अवश्य सोच सकते हैं यह ना ही केवल अच्छे रिटर्न देता है बल्कि एक सुरक्षित निवेश का साधन भी है।
डेट म्यूचुअल फंड में ज्यादातर निवेश गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में होता है इसलिए इसकी सुरक्षा पर पूरा भरोसा किया जा सकता है और अच्छे रिटर्ंस की अपेक्षा भी जरूर की जा सकती है।
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